शारदा ग्रुप के प्रतिष्ठित संस्थान हिन्दुस्तान कॉलेज ऑफ साइंस एंडटेक्नोलॉजी, मथुरा ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.आई.टी.), दिल्ली केनवाचार प्रौद्योगिकी हस्तातंरण कार्यालय के साथ बौद्धिक सम्पदा अधिकार(आई.पी.आर.) समझौते पर हस्ताक्षर किये।शारदा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के वाइस चेयरमैन श्री वाई.के.गुप्ता औरकार्यकारी उपाध्यक्ष प्रो. वी. के. शर्मा ने संस्थान के निदेषक को इस पहलके लिए बधाई एवं शुभकामनायें दी।संस्थान के निदेषक डॉ. राजीव कुमार उपाध्याय ने भारतीय प्रौद्योगिकीसंस्थान (आई.आई.टी.), दिल्ली के नवाचार प्रौद्योगिकी हस्तातंरण कार्यालय केवरिष्ठ निदेषक डॉ. रीमा साहनी मैदीरता और आषुतोष पास्टर का अपनेसंस्थान में स्वागत किया।संस्थान के निदेषक डॉ. राजीव कुमार उपाध्याय ने अपने सम्बोधन मेंइस समझौते का उद्देष्य बताया। उन्होंने बताया कि इस समझौते से हमारेछात्र और षिक्षक बौद्धिक सम्पदा अधिकार (आई.पी.आर.) के प्रति जागरूकहोंगे और इससे औद्योगिक और संस्थान की दूरी कम होगी।इसके बाद समस्त षिक्षकों की उपस्थित में हिन्दुस्तान कॉलेज केनिदेषक डॉ. राजीव कुमार उपाध्याय व श्रीमती रीमा साहनी मैदीरता नेसमझौते पर हस्ताक्षर किये। तत्पष्चात आई.आई.आई.पी. प्रमुख डॉ. टी.एस.एस. सेंथिल ने सभी अतिथियों का परिचय दिया।इस अवसर पर डॉ. आषुतोष पास्टर ने बौद्धिक सम्पदा अधिकार कीमहत्ता को विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार आप अपनेबौद्धिक सम्पदा अधिकार को स्टार्टअप में बदल सकते हैं। उन्होंने इसके लियेमिलने वाली फंडिग के बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने बताया आपकोकोई भी स्टार्टअप प्रारम्भ करने से पहले लोगों की आवष्यकता को समझनाहोगा और ये फैसला करना होगा कि आप किस क्षेत्र में अपने बौद्धिकसम्पदा अधिकार (आई.पी.आर.) से स्टार्टअप प्रारम्भ कर सकते हैं। उन्होंनेबताया कि आपको अपने स्टार्टअप का मिषन और विजन स्पष्ट रखनाहोगा। उन्होंने बौद्धिक सम्पदा अधिकार (आई.पी.आर.) स्टैंटजी का भी जिक्रकिया और बताया कि किस-किस प्राकर के आईडिया को आप बौद्धिकसम्पदा अधिकार (आई.पी.आर.) कर सकते हैं। इसके लिए एक शोध बहुतही जरूरी है। उन्होंने इसके लिए बिजनिस मॉडल बनाने पर भी जोर दिया।कुछ उदाहरण देकर उन्होंने यह सब समझाया।इस अवसर पर श्रीमती रीमा साहनी मैदीरता ने हिन्दुस्तान कॉलेज काधन्यवाद देते हुये बौद्धिक सम्पदा अधिकार (आई.पी.आर.) के प्रकार बताये।जिसमें उन्होंने पेटेंट, टंेडमार्क, कॉपीराइट, टंेड सीक्रेट, इंडस्टंीयल डिजाइनऔर जियोग्राफीकल इंडीकेषन के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बौद्धिकसम्पदा अधिकार (आई.पी.आर.) के लाभों का भी जिक्र किया। उन्हांेने बतायाइससे आपकी ब्रांड वैल्यू बढ़ती है। उन्होंने तकनीकी स्थानांतरण के बारे मेंभी विस्तार से बताया।कार्यक्रम का सफल संचालन इलेक्टंोनिक्स एण्ड कम्युनिकेषन विभागकी षिक्षिका श्रीमती रूपाली महाजन ने किया। धन्यवाद ज्ञापनआईआईआईपी प्रमुख की डॉ. टी.एस.एस. सेंथिल ने किया।इस अवसर पर संस्थान के डीन आर एण्ड डी प्रो. एम.एस.गौर, डीनस्टूडेंट वैलफेयर डॉ. संदीप अग्रवाल, डीन अकैडमिक श्री विजयकट्टा,संस्थान के समस्त विभागाध्यक्ष, षिक्षकगण एवं कर्मचारियों ने आई.आई.टी.दिल्ली को उनकी इस पहल के लिए धन्यवाद दिया और आषा जताई इससमझौते से संस्थान के छात्र भविष्य में लाभान्वित होंगे।