हिन्दुस्तान कॉलेज के कम्प्यूटर साइंस विभाग के छात्रों ने बनायी डिप्रेषनपहचानने की तकनीकशारदा ग्रुप के प्रतिष्ठित संस्थान हिन्दुस्तान कॉलेज ऑफ साइंस एण्डटेक्नोलॉजी के कम्प्यूटर साइंस विभाग के अंतिम वर्ष के छात्रों हर्षित गुप्ता,ओम गोयल, प्रषांत चौधरी एवं प्रांजल अग्रवाल ने श्री विजय कट्टा केमार्गदर्षन में इस प्रोजेक्ट को पूरा किया।प्रोजेक्ट के गाइड श्री विजय कट्टा ने बताया आजकल, युवा पीढ़ियों(15-29 वर्ष) में डिप्रेशन की समस्या बढ़ती जा रही है और इसकी पहचानऔर समय पर उपचार व्यक्ति के जीवन को बचाने में महत्वपूर्ण है। साथ ही,सोशल मीडिया का उपयोग भी वृद्धि कर रहा है, जिसमें ट्विटर एक महत्वपूर्णभूमिका निभा रहा है। इस अध्ययन के लिए, हमने मशीन लर्निंग और नेचुरललैंग्वेज प्रोसेसिंग तकनीकों का उपयोग करके ट्विटर ट्वीट्स को विश्लेषणकिया। यह ट्वीट्स व्यक्ति के भावनात्मक स्थिति, उनकी मानसिक तनाव कीस्तर और डिप्रेशन की मौजूदगी का संकेत देते हैं। इस तरह से हम लोगों कीआंतरिक हालातों को समझ सकते हैं और उचित मार्गदर्शन प्रदान कर सकतेहैं। इस अध्ययन ने महत्वपूर्ण परिणाम प्राप्त किए हैं, जो युवा मानसिकस्वास्थ्य में सुधार करने के लिए सहायक साबित हो सकते हैं। अध्ययन ने यहसाबित किया है कि ट्विटर पोस्ट में व्यक्त होने वाले भावनात्मक शब्द, टोन,और वाक्यांश डिप्रेशन के संकेत हो सकते हैं।उन्होंने कहा कि यह अध्ययन युवा लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को मापनेऔर मानसिक बीमारियों को पहचानने के लिए मशीन लर्निंग तकनीकों काअद्वितीय उपयोग करता है। इसके अलावा, यह अध्ययन नई प्रायोजना औरउपचार मार्गों की विकास की संभावना प्रदान करता है। डिप्रेशन से पीड़ितयुवाओं के लिए इस अध्ययन की महत्वपूर्णता इसलिए बढ़ती है क्योंकि वेआधिकारिक चिकित्सा संस्थानों या अन्य संसाधनों के लिए आवेदन करने मेंकठिनाईयों का सामना कर सकते हैं। यह अध्ययन न केवल मरीजों के लिएउपयोगी है, बल्कि डॉक्टरों की मदद भी कर सकता है। ट्विटर के माध्यम सेडिप्रेशन की पहचान करने का यह मॉडल डॉक्टरों को इन्हें स्थितिगत रूप सेपहचानने और इसका उपचार करने में मदद कर सकता है। मशीन लर्निंगएल्गोरिदम के उपयोग से, यह मॉडल ट्वीट्स का विश्लेषण कर सकता है औरडॉक्टरों को अवसाद के लक्षणों के संकेत और गंभीरता की जांच में मदद करसकता है। डॉक्टर इस जानकारी का उपयोग करके उचित और सटीक निदानलगा सकते हैं और मरीजों को सही उपचार प्रदान कर सकते हैं। इसकेअलावा, यह मॉडल डॉक्टरों को रोगियों के दरवाजे तक पहुंचने का एक नयातरीका प्रदान कर सकता है। जब यह मॉडल डिप्रेशन के लक्षणों के बारे मेंजानकारी प्राप्त करता है, तो वह उपयुक्त प्रदान कर सकता है कि किसी व्यक्तिको डॉक्टर से मिलने या अधिक जांच करवाने की आवश्यकता हो सकती है।इससे व्यक्ति की मानसिक स्वास्थ्य की चिंता करने वाले डॉक्टर उन्हें समय परमदद प्रदान कर सकते हैं और उन्हें उचित उपचार का सुझाव दे सकते हैं।डॉक्टरों के सहायता से इस मॉडल का उपयोग करके, हम सामाजिक मीडियापर दिखने वाले डिप्रेशन के मामलों को पहचान और उपचार करने के लिए एकमजबूत साझेदारी विकसित कर सकते हैं। यह हमारे सामाजिक सुरक्षा नेटवर्कको मजबूत और संरक्षित बनाने में मदद करेगा और डिप्रेशन के प्रति समयरहते संवेदनशीलता बढ़ाएगा।विभागाध्यक्ष डॉ. मुनीष खन्ना ने सभी छात्रों को बधाई देते हुये बतायाकि मनोवैज्ञानिक हत्याओं के मामलों को कम करने में हमारे मॉडल द्वारापीड़ित के मानसिक स्थिति का विश्लेषण करके एक महत्वपूर्ण योगदान होसकता है। हमारे एल्गोरिदम के द्वारा, हम पीड़ित व्यक्ति के सामाजिक मीडियापोस्ट्स और ट्वीट्स का विश्लेषण कर सकते हैं और उसके मानसिक स्थितिऔर मनोवैज्ञानिक संकेतों को पहचान सकते हैं। इससे हम ऐसे लोगों कीपहचान कर सकते हैं जिनका मानसिक स्थिति चिंताजनक हो सकती है और जोप्रतिक्रियात्मक और हत्यादियों की भूमिका निभा सकते हैं। यह मॉडल हमें ऐसेव्यक्तियों का पता लगाने में मदद कर सकता है जो संकेत दे रहे हों कि वेहिंसा या अवैध गतिविधियों की ओर जा रहे हैं। डेटा विश्लेषण के माध्यम से,हम पीड़ित की मानसिक स्थिति की गंभीरता को माप सकते हैं और जरूरतमंदउपचार और सहायता प्रदान करने के लिए उचित कार्रवाई कर सकते हैं। इससेहम न केवल इस व्यक्ति को मदद पहुंचा सकते हैं, बल्कि आस-पास के लोगोंकी सुरक्षा भी सुनिश्चित कर सकते हैं। इस प्रक्रिया के माध्यम से, हम समाजको मनोवैज्ञानिक हत्याओं के खिलाफ सुरक्षित रखने के लिए एक नया उपायप्रदान कर सकते हैं। इस अद्यतन और विश्लेषण की तकनीक ने सुरक्षाएजेंसियों और व्यावसायिक पेशेवरों को एक नया साधारित करने में मदद कीहै, जिससे समाज को हत्याओं से सुरक्षित रखने में मदद मिल सकती है।छात्रों को इस उपलब्धि पर शारदा ग्रुप के वाईस चेयरमैन श्री वाई. के.गुप्ता एवं कार्यकारी उपाध्यक्ष प्रो. वी. के. शर्मा ने छात्र-छात्राओं को बधाई एवंशुभकामनायें दी।संस्थान के निदेशक डॉ. राजीव कुमार उपाध्याय ने प्रोजेक्ट में काम करनेवाले सभी छात्रों एवं मार्गदर्षक श्री विजय कट्टा को बधाई एवं शुभकामना दतेहुये बताया डिप्रेशन की पहचान करने का यह नया कदम एक बड़ी उपलब्धि है।इस अध्ययन से समाज को सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों मेंजागरूक बनाने का अवसर मिलता है। इसके अलावा, यह अध्ययन संजागताको बढ़ावा देता है और हमें मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझने के लिएप्रेरित करता है। आइए हम सभी मिलकर इस प्रगति का समर्थन करें औरसामाजिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर बातचीत को बढ़ावा दें।इस अवसर पर डीन फैकल्टी डॉ. हरेन्द्र सिंह, संस्थान के समस्तविभागध्यक्ष व षिक्षकगण श्री प्रमोद कुमार, श्री ब्रजेष शर्मा, श्री अतुल, श्रीगौरव पाण्डेय, श्री अमित यादव, डॉ. प्रतीक्षा गौतम, श्रीमती पूनम, श्रीमतीभूप्रभा, श्री दिवाकर श्रीवास्तव, मनीषा, एवं कर्मचारियों ने सभी छात्राओं कोबधाई एवं शुभकामनायें दी।